Saturday, September 6, 2008

RAAT....

वो भी एक पहाड़ सी रात थी

और पल सूली लिए साथ थी,

हर तारा था डरा हुआ

और चांदनी भी काले बादलों के साथ थी !

कितने प्यार की जुबा टूटी

कितने उम्मीन्दो के रंग खाक हुए,

कितने फूलो की कलियाँ टूटी

कितने रंग न जाने बरबाद हुए !

लेकिन, है पता मुझको की,

कल खिलेंगे फिर से नए फूल,

आयेंगे नए पत्ते सूखे डालो पे

फिर से बैठ कोयल,जायेगी नए गीतों को

मगर, फिर भी कही

धड़क रहा है मेरा दिल

की,

जो वो रात न छू सकी थी हमे

कही शाखों की ये पहली बहार

जुदा न कर दे हमे

No comments: